Government Schemes - शासकीय योजना
1) प्रधानमंत्री पिक विमा योजना-
प्रधानमंत्री पिक विमा योजना अर्ज सुरू.
एक रुपया मध्ये 22,000 ते 65,000 रुपयांपर्यंतची भरपाई चा खरीप पीक विमा मिळवा.
👉 फक्त 1 रुपये भरून शेतकरी आपल्या पिकाचा विमा काढू शकतात.
👉 पिकांचे नुकसान झाल्यास शासन नुकसान भरपाई देणार
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👉 समाविष्ट पिके खालील प्रमाणे-
ज्वारी,
बाजरी,
मुग,
उडीद,
तूर,
मका,
भुईमूग,
सोयाबीन,
कापूस
कांदा ई.
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लागणारे कागदपत्रे :
7/12,
आधार कार्ड,
बँक पासबुक,
स्वयंघोषणापत्र
पिक पेरा भरलेला असणे आवश्यक
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पिकाची ई-पीक पाहणी:
पीक शेतात आहे की नाही याची पडताळणी करण्यासाठी ई-पीक
पाहणी करणे गरजेचे आहे. यावर्षी राज्य शासनाने १ रुपयात पीकविमा उपलब्ध दिल्याने
शेतकऱ्यांनी मोठ्या प्रमाणात विमा भरला आहे. आता विम्याचा लाभ मिळण्यासाठी जे पीक
विमा उतरवताना नोंदवले आहे. त्या पिकाची ई-पीक पाहणीमध्ये नोंद होणे गरजेचे आहे.
त्यासाठी पीक पाहणी नोंदणी पूर्ण करून घ्यावी व
शासनाच्या विविध योजना ज्यामध्ये पीकविमा, पीक कर्ज, शासकीय अनुदान, अतिवृष्टी
अनुदान आदी विविध योजनांचा लाभ घेण्यास मदत होणार आहे. नोंद न झाल्यास ही भरपाईची
रक्कम मिळणार नाही.
पिकाची ई-पीक पाहणीमध्ये नोंद होण्यासाठी आवश्यक App मोबाईल मध्ये डाउनलोड करा.
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योजनेंतर्गत, पीक विमा पोर्टलवर नोंदणी करण्यासाठी शेतकर्यांना प्रति अर्ज फक्त एक रुपया नाममात्र शुल्क भरावे लागेल.
विमा प्रीमियमचा उर्वरित हिस्सा राज्य सरकार सामान्य विमा अनुदान म्हणून उचलेल.
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लाभ घेण्यासाठी, शेतकऱ्यांनी 'ई-पीक पाहणी' प्लॅटफॉर्मवर त्यांच्या पिकांची नोंदणी करणे आवश्यक आहे आणि विमा भरताना बँक खाते क्रमांक, लागवडीखालील क्षेत्र, जमीन सर्वेक्षण क्रमांक आणि मोबाइल क्रमांक यासारखे अचूक तपशील प्रदान करणे आवश्यक आहे.
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नोंदणी प्रक्रिया राष्ट्रीय विमा वेबसाइट
वर पूर्ण केली जाऊ शकते .
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विमा भरपाई दर-
भुईमूग: 29,000 रुपये प्रति हेक्टर
खरीप ज्वारी: 25,000 रुपये प्रति हेक्टर
बाजरी: 22,000 रुपये प्रति हेक्टर
सोयाबीन : ४५,००० रुपये प्रति हेक्टर
मूग आणि उडीद: प्रत्येकी 20,000 रुपये प्रति हेक्टर
तुरी : 35,000 रुपये प्रति हेक्टर
कापूस: 23,000 रुपये प्रति हेक्टर
मका: 6,000 रुपये प्रति हेक्टर
कांदा : ६५,००० रुपये प्रति हेक्टर
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भरपाई साठी कारणे-
खरीप हंगामात अपुरा पाऊस, प्रतिकूल हवामान किंवा इतर कारणांमुळे एखाद्या विशिष्ट प्रदेशातील सर्वसाधारण क्षेत्राच्या 75 टक्क्यांहून अधिक क्षेत्र पेरणी न झालेले किंवा कमकुवत पिकं राहिल्यास विमा संरक्षण लागू होते.
याव्यतिरिक्त, पूर, दुष्काळ किंवा इतर प्रतिकूल हवामानामुळे पेरणीनंतर 30 दिवसांनी आणि काढणीच्या 15 दिवस आधी अपेक्षित उत्पादन मागील सात वर्षांच्या सरासरी उत्पन्नाच्या 50 टक्क्यांपेक्षा कमी असल्यास नुकसान भरपाई दिली जाईल.
ज्या शेतकऱ्यांची पीक कापणीनंतर शेतात पेंढा पसरवून किंवा बांधून सुकणे आवश्यक आहे ते देखील नुकसान भरपाईसाठी पात्र असतील.
शिवाय, कापणीनंतर दोन आठवड्यांच्या आत गारपीट, चक्रीवादळ किंवा अवकाळी पावसामुळे पिकांचे नुकसान झाल्यास वैयक्तिक मूल्यांकनाच्या आधारे नुकसान भरपाई निश्चित केली जाईल.
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